मूर्खोनहिददातिअर्थम् नरोदारिद्रयशङ्कया | प्राज्ञातुवितरतिअर्थम् नरोदारिद्रयशङ्कया ॥
मूर्खोनहिददातिअर्थम् नरोदारिद्रयशङ्कया | प्राज्ञातुवितरतिअर्थम् नरोदारिद्रयशङ्कया ॥
धर्म रक्षण हो या समाज रक्षण आपके कर्म ही परिणाम को निश्चित करेंगे, आपकी कहीं या सोची हुई बातें महत्वहीन हो जायेंगी।
धर्म रक्षण हो या समाज रक्षण आपके कर्म ही परिणाम को निश्चित करेंगे, आपकी कहीं या सोची हुई बातें महत्वहीन हो जायेंगी।
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